Sunday, January 8, 2012

Quebec City


क्यूबेक शहर जैसा देखा !
क्यूबेक राज्य कनाडा के दस राज्यों में एक महत्वपूर्ण राज्य है और अनेक द्रश्तिकोनों से महत्वपूर्ण है .
पूरे देश में केवल इसी राज्य की कार्यालीन भाषा फ्रेंच है .क्षेत्रफल और जनसंख्या के मान से दुसरे स्थान और शिक्षा की गुणवत्ता के अनुसार प्रथम स्थानपर है .उद्योग धंधों का केंद्र क्यूबेक शहर और मांट्रियल के बीच लारेंस नदी के किनारे है .इस राज्य में सबसे अधिक नदियाँ ,सबसे ऊंचे पहाड़ और भूमि की रचना अन्य राज्यों से भिन्न है.यहा वसंत ,ग्रीष्म ,पतझड़ और ठण्ड के चार मौसम होते हैं जिनमें सबसे कठिन ठण्ड का मौसम होता है और कभी कभी क्यूबेक शहर में पांच मीटर तक बर्फ जम जाती है .क्यूबेक शहर इस प्रदेश की राजधानी है .इस शहर के सैर सपाटे के लिए हम लोग पत्नी प्रेमलता और बेटे संदीप के साथ अपने बाहन से सैंट जॉन से ७०० किलोमीटर की दूरी तय करके लगभग ४.३० बजे शाम वहां दिसम्बर १२,२०११ के ३.३०पहुँच गए और सामान हॉवर्ड जोनसन में रख सैर -सपरे पर निकल पड़े .
सबसे पाहिले हम लोग डावन-टाउन की और चल पड़े .लारेंस नदी के लम्बे चौड़े पात और उस पर बनें
आने जाने बाले लोहे से बने पुलों की ओर हम लोगों का ध्यान गया .हमारे बेटे संदीप ने गाइड का उत्तरदायित्व निभाया .डाउन टाउन के भवन -दूकानें सब जगर मगर हो रहे थे .चौक में क्रस्मस ट्री की सजावट दर्शनीय थी
थी.भान के भवन तथा दूकानें फ़्रांस की यादें ताजा कर रहीं थी .लगभग ४.०० घंटे घूमने के बाद हम लोग होटल में बापिस आ गए और रात भर चैन की नीद सोये .
होटल के रेंट में रिफ्रेशमेंट शामिल था .हम लोगों ने हैवी नाश्ता किया और आनन् फानन तैयार हो दिसंबर 13
१३ २०११ को क्यूबेक अक्वेरियम की ओर चल पड़े जो मुख्य बाज़ार के पास है और १६ हेक्टेयर [४० एकड़ ]में फैला है जिसमें १०,००० जानवर ३०० जातियों के दर्शकों के आकर्षण के केंद्र बिंदु हैं .इसकी स्थापना १९५५ में हुई.सबसे पहिले बायोलाजिकल सेंटर बना जिसके लिए २३०,००० गैलन ताज़ा पानी और ३२,००० गैलन नमकीन पानी क्रमशः सैंट चार्ल्स झील और सैंट लारेंस नदी से लाया गया .इसके बाद अन्य विभाग बन कर तैयार हुए .हम लोगों ने भयानक समुद्र ,तटीय क्षेत्र के भाँति भाँति के जानवर ,मीठा और नमकीन पानी और मैरीन बायोलोजी कल विभाग का मज़ा लिया .बाहरी विभागों में सैंट लारेंस कौरीदर में ऐसे ऐसे सांप ,चिड़ियाँ ,पौधे और विचित्र कीड़े मकोड़े देख देख हम लोग दांत तले उंगली दबा रहे थे .
आर्कटिक विभाग में आर्कटिक क्षेत्र में पाए जाने बाले जानवर हार्पसील ,वालरूस,पोलर बियर आदि ने ध्यान खीचा .खाना खिलाने के समय के जानवरों के खेल तमाशों ने दर्शकों का ध्यान खींचा .
कांच के अन्दर दो बालरूस थे जब उन्हें फेक कर खाना खिलाया जाता था तो वे उसे गप्कते थे तथा तरह तरह के खेल दिखाते थे बच्चों की उछल कूद माता पिताके लिए आनंद का स्रोत थी ,इसी तरह चार हार्प शीलों की
उछलकूद पानी से बाहर आकर लेट कर नमस्कार करना आदि देख देख सैलानी विमोहित थे .बच्चे तथा सभी दर्शक तालियाँ बजा बजा कर खुश हो रहे थे .उनके खेल तामाशों को देख कर २००३ में शिकागो में देखे
हेल मछलियों के कारनामें याद आगये .उनकी कलाबाजियां देख कवी मन गुनगुनाने लगा :
जो हम सबने देखे जीवजन्तु
भाँति भाँति के जीवजन्तु हैं /रंग बिरंगे रंग
बच्चे बूड़े जो भी द्र्खें /रह जाते हैं दंग
और भूल जाते हैं किन्तु परंतु
भोजन देना या सिखलानें की /होंअद्भुत घड़ियाँ
नांचें भोजन के लालच में /चारों सील मछलियाँ
बजा तालियाँ होते मंत्रमुग्ध
एक्वेरियम के लाज में ही भोजन करके हम लोग आदिबासियों हुरोन के गाँव वान्देके की ओर चल पड़े .रास्ते में चारों ओर बर्फ ही बर्फ ,हम लोगों ने इतनी बर्फ कभी न देखि थी .छोटे छोटे शंकु आकार के घर और अधिकाँश के सामने कपडे के बने ग़ैरिज जीवन में पहली बार देखे .भूलते भटकते गाँव पहुंचे .गाइड के साथ उनके इतिहास ,रहन सहन ,संस्कृति आदि को समझा बूझा .इनका इतिहास लोजियाँ न वे और सैंट लारेंस खाड़ी के बीच के मैदानों ,झीलों और पहाड़ों से जुदा है ये लोग कुशल किसान ,शिकारी,व्यापारी और लड़ाकू होते हैं . पूरे गाँव का नाम रोरेक है .इसकी नींव १६९७ में हुई .पूरे दिन सैर सपाटे के बाद चैन से होटल में सोये .
दूसरे दिन १४.१२.२०११ को सामान के साथ क्युवेक के म्यूजियम की ओर कदम बढाए .क्युवेक राज्य में लगभग ४०० म्यूजियम हैं .क्युवेक शहर का म्यूजियम मूसीद्ला सिविलिजेशन ६०० वर्गमीटर क्षेत्र में रायल पैलेस के आस पास स्थित है जो क्युवेक के भुत वर्तमान और भविष्य के बारे में जानकारी देता है .हम लोगों ने बिभिन्न विभागों में संग्रहीत वस्तुएं ,अभिलेख देखे वे सब क्युवेक व् रोम के संबंधों की रोचक जानकारी देते हैं. कनाडा में रेडियो के विकास की कहानी कहता विभाग विज्ञान विभाग में जानकारी का विशाल भण्डार देख देख हम चकित थे .हम लोग चकित थे की अनेक माँ बाप अपने अपने दुध्मुहें लाडलों को लेकर म्यूजियम में तथा एक्वेरियम में सैर सपाटा कर रहे थे .विद्ध्यार्थियों की टोलियाँ शिक्षकों के साथ अपने अपने आई पोड के साथ अजाब्घर के कोने कोने को खगाल रहे थे :
म्यूजियम में देखा हमने
पढने वाले बच्चे /सबके सब थे अच्छे
प्रशन अनूठें बूझें /द्वार ज्ञान के खोलें
देखा उनको बुनते सपने
क्युवेक शहर की सैर सपाटे के सिलसिले में राह में जो पन्तियाँ उभरीं ,प्रस्तुत हैं :
जब जाना था करने सैर
पहले से तैयारी करली/सभी जरूरी चीजें धर लीं
नया कैमरा साथ लिया /नक्शा जानकारियाँ ले लीं
हंसी खुशी से मचले पैर
जैसे जैसे रस्ता नापा /दायें बाएं जब जब झांका
जी करता सबसे बतिआऊ /ठहरू एसा मन में आता
क्युवेक बुलाता करो न देर
चारों ओर बर्फ का डेरा /हमें बर्फ ने पग पग तेरा
वन घर खेत नदी नालों को /बच्चों की शाला को घेरा
बर्फ बनी बच्चों का खेल
सुनसान सड़क सन्नाटे में /दौड़ें गाडी फर्राटे में
देख देख होती हैरानी /कैसे जीते सब जाड़ें में
जिजीविषा लेती है खैर !
[मान्त्रीयल :लातूर वेल्वेदर होटल :१६.१२.२०११]

1 comment:

  1. आनंद जी यात्रा वृतांत अच्‍छा है। मैटर को जस्‍टीफाइड करके लगाएं ताकि पढ़ने में आसानी हो।

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