डाक्टर आर .डी.वर्मा प्रोफेसर एमिरितास [फिजिक्स ]न्यू ब्रुन्सविक यूनिवर्सिटी ,कनाडा
५०६-४५७-०२५७
जब मुझे ज्ञात हुआ कि हिंदी साहित्य की प्रमुख पत्रिका साहित्य सरोवर /------------------का फरबरी २०१२ का
विशेषांक डाक्टर जय जय राम के साहित्यिकजीवन को समर्पित है तो मुझे बेहद ख़ुशी हुई .मुझे इस बात का गर्व है कि समाज में कोई ऐसा भी मित्र है जिसे मैं एक लम्बे अरसे से जानता हूँ और जिसकी मित्रता उसके विद्धार्थी जीवन से मेरे मानस पटल पर रची -बसी है .मेरे लिए यह महान ख़ुशी की बात है कि उनके विषय में मुझे अपना द्रष्टिकोण रखने का सुअवसर मिला ।
डाक्टर जय जय राम मुझसे कुछ साल छोटे हैं परन्तु हम दोनों की जीवन रेखा बिलकुल समानांतर बही यद्यपि उसकी दिशाएँ अलग अलग रहीं । हम दोनों ही ऐसे सामान्य किसान परिवार से हैं जिनमें कोई भी भविष्य की राह दिखाने बाला नहीं था .अपने भाग्य निर्माण की राहें अपने आप खोजीं क्योंकि हम मैथिलीसरन गुप्त जी की पक्तियों से अनुप्राणित थे :स्वावलम्ब की एक झलक पर न्योछवर कुबेर का कोष ' उन्होंने अपनी मात्रभूमि , मात्रभाषा हिंदी,बालसाहित्य तथा शिक्षा जगत की सेवा की और उन क्षेत्रों में सराहनीय कार्य किये जबकि मैंने प्रकृति के रहस्यों की खोज में दुनिया की खाक छानी .मुझे दो- दो नोबुल पुरूस्कार विजेतायों के साथ हाथ मिलाकर परमाणुओं और मोलेक्युल्स के अभेध्य रहस्यों को खोजने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
मुझे अच्छी तरह याद है जब डाक्टर जय जय राम मुझसे सन १९५७-५८ में अलीगढ में मिलने आये तो मुझे अपनी प्रथम पाण्डुलिपि, 'दरिद्रता के अंचल से महान विभूतियाँ ' दिखाई तो सुचमुच मैं आश्चर्य चकित हुआ की इतनी सी छोटी आयु में इतना महत्वपूर्ण लेखन .उन्होंने अपने कनाडा अपने बेटे के पास सैंट जॉन प्रवास में बताया की उसे राजपाल एंड संस दिल्ली ने 'प्रेरणात्मक जीवनियाँ ' शीर्षक से प्रकाशित की है उन्होंने अपने सेवाकालीन अवधि में शिक्षा एवं शिक्षा मनोविज्ञान सम्बन्धी अनेक कृतियों का सर्जन किया जिनमें ,'विश्व के महान शिक्षाशास्त्री 'का पांचवां संस्करण निकल चुका है .ध्यातव्य है की उन्होंने काव्य जगत को नौ संकलन की अनूठी धरोहर सौपी है जिनमें से अधिकाँश को मुझे देखने का अवसर उनके साथ भोपाल ठहरने पर मिला उनके हाल ही के प्रकाशित बाल साहित्य के संकलनो और उनके बाल गीतों को सुनकर मैं और मेरी धर्म पतिनी मधु वर्मा मोहित हो गए .बालजीवन से सम्बंधित कवितायें अति सरल और बालकों के गले आसानी से उतर जाती है । मैं अत्यधिक प्रसन्न हूँ और मुझे गर्व है की उन्हें उनके प्रशंशनीय कार्यों के लिए अनेक राष्ट्रीय पुरूस्कार एवं सम्मान मिलें और अनेक साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थायों ने भरपूर सम्मान दिया ।
मैं उनके परिचय और सानिध्य को गौरव और अपने सौभग्य का प्रतीक मानता हूँ .मेरा उनके जोखिम भरे साहसिक जीवन की पगडंडियों से उनके विद्यार्थी जीवन से ही निरंतर संपर्क में रहा हूँ .उनकी जीवन यात्रा एक किसान के खेत से शुरू होकर भारत के अनेक भागों की भूलभुलैयों से गुज़री और उनपर सफलता और अपने नाम के अनुकूल अमित आनंद की अजश्र धारा बहाई वे अपने गाँव -समाज के लिए सर्वप्रथम नायक हैं जिन्होंने यह सिद्ध करके यह दिखा दिया की पैसे का अभाव और दूसरे के कधों के टेके की वैशाखी के न होने पर भी जीवन में सफलता की सीढ़ी पर चढ़ने से कोई रोक नहीं सकता यदि मन में संजोये सपनों को सजाने की प्रवल इक्षा और सच्ची लगन हो ।
मैं उनकी दीर्घ आयु और सुखी जीवन की कामना करता हूँ ताकि वे साहित्य जगत विशेषकर बाल साहित्य को अपने बालगीतों की अमूल्य सौगात सौंप सकें भावी बाल गोपालों के कोमल उरों में हास्य का वीज बो सकें ।
हस्ताक्षर :राम .डी .वर्मा
प्रोफेसर राम डी वर्मा , एम् .ससी [फिजिक्स], पी ,एचडी ।
हिंद रत्न १९९३
१९५, कोलोनिअल हाईट्स ,
फ्रिदिक्सन ,एन .बी .ई ३बी५ एम् २ कनाडा
