Thursday, December 29, 2011


इंडिया हाउस ह्यूस्टन अमेरिका  में डॉ जयजयराम के काव्यपाठ की गूँज
अमेरिका में भारतीय एवं अमेरिका  प्रवासियों के वीसा /पासपोर्ट ,नागरिकता आदि की देखभाल करने के लिए न्यूयार्क ,शिकागो ,सेनफ्रांसिस्को एटलांटा एवं ह्यूस्टन में कांसुलेट जनरल आफ इंडिया के कार्यालय स्थित हैं .
इन सभी कार्यालयों के पास अपने भवन नहीं हैं .ह्यूस्टन में अगस्त ३०,२०११ को नव निर्मित भवन में कार्य करना शुरू क्र दिया .जो ४३००,स्काटलैंड स्ट्रीट ,ह्यूस्टन टेक्सास ७७००७मेन स्थित हैं .इसे इंडिया हाउस के नाम से जाना जाता है जिसके मुख्य सभागार में बिभिन्न कार्यक्रम होते रहते हैं .हम लोगों के प्रवास  काल में  भी अनेक कार्यक्रम हुए जिनमें  'इन्डियन सीनियर सिटिजन एसोसिएसन का वार्षिक कायर्क्रम सितम्बर १०.२०११को १२.००-३.३० के बीच संपन्न हुआ ,उसके अध्यक्ष श्री प्रफुल्ल गांधी के भाव् भीने आमन्त्रण पर  मुझे सपत्नीक सम्मलित होने तथा काव्य पाठ का सुअवसर मिला .
 कार्यक्रम  का शुभारम्भ 'ग्रांड पैरेंट्स डे से सामूहिक प्रार्थना ,अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में 'से श्री सुरेन्द्रनाथ शर्मा वाइस कंसुलैत  जन र ल आफ इंडिया ,श्री प्रफुल्ल गाँधी तथा श्री देवगौड़ा की उपस्थित में हुआ जिसमें सीनियर सिटिजन को सम्मानित किया गया और उनके तथा बच्चों के विभिन्न मनोरंजक सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए .
आगे के कार्यक्रम का संचालन श्रीमती सोनल भूचर ने किया जिसका शुभारम्भ होने से पूर्व ९/११के बलिदान दिवस पर श्रधांजलि के लिए मौन तथा असतो माँ सद्गमय ----का उच्चारण कियागया .उसके बाद सीनयर सिटीजंस द्वारा संस्क्रातिक काय र्क्रम हुआ सारा हॉल खचाखच भरा था
जैसे संचालिका द्वारा भोपाल से पधारे अखिल भारतीय साहित्य सम्मलेन  भोपाल के अध्यक्ष कका नाम पुकारा .सभागार तालियों से गूँज उठा.उन्होंने अपना परिचय देते हुआ कहा ,मुझे गाना नहीं आता,नाचना नहीं आता ,हाँ हँसना आता है और हास्य से सारे सहभागियों को सराबोर कर दिया फिर कहा मुझे कविता पाठ आता है और उन्होंने मुत्तक पढ़ा :
एसा हो नहीं सकता पतझड़ हो पात न झड़ें
एसा हो नहीं सकता मियाँ बीबी आपस में न लड़ें
फिर एसा कैसे हो सकता है बताओ भला 
इंडिया हाउस सभागार में आनंद जी कविता न पढ़ें
पूरा सभागार काव्य मय हो उठा उन्होंने फिर एक मुत्तक ज्योही  पढ़ा :
कौन कहेगा आज अ किंचन  मह्प्फिल शबरी
ह्यूस्टन के कोने कोने में जिसकी महिमा बगरी
भारत  के कोने कोने से भाई बहिन पधारे
नंदन वन सी नाच रही है महिफिल सबरी
वाह वाह की ध्वनि के बीच और सुनाइये सुन कवी  मन खुश हो दोहों को सुनाने लगा :
ह्यूस्टन ने सचमुचदिया ,तन मन को आनंद
कागज़ कलम कह रहे ,लिखो अनूठे छंद
सबके चेहरों पर लिखा ,भारत का  संवाद
पढने बाले पढ़ सकें ,खरा खरा अनुवाद
यहाँ वहां की शान को ,भारत के सब लोग
खून पशीना बहाकर ,करतें हैं सहयोग
मत पूंछो कैसा लगा ,आ ह्यूस्टन की छाँव
जीवन भर भूलूँ नहीं ,एसा अद्भुत ठांव
दिया आप सबने मुझे ,इतना सारा प्यार
जीवन के इतिहास में अजर अमर उपहार
श्रद्धा सुमन बिखेर दो ,उन वीरों के नाम
प्राण निछावर कर गए ,शत शत उन्हें प्रणाम
दोहों की बौछार ने सामान बाँध दिया ,खचाखच भरे हाल में दोहों को सुनकर सब तालियों को रोक न सके और कार्यक्रम को अविस्मरनीय बना दिया.
अंत में ,मुख्य अतिथि ने कार्यक्रम की सफलता के लिए आयोजकों और सहभागियों को धन्यवाद दिया .सामूहिक सहभोज के बाद कार्क्रम समाप्त हुआ.कैमरों ने फोटों में अपने आगोश में अद्भुत द्रश्यों को समेत लिया .
श्रीमती प्रेमलता आनंद
१९८२२,अल्मोंद पार्क केटी  टेक्सास -२८१-७१७-4095

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