Saturday, December 15, 2012

प्रवास में साहित्यिक हलचलें
हम लोग 27 दिसम्बर 2012 को रेल द्वारा रात 10.00बजे भोपाल से गंगानगर मेरठ पहुंचे .बहाँ स्वकीय भांजे की शादी समारोह का भरपूर मज़ा लिया .कुछ फोटोज आपके लिए :



           


 दिनांक :03.12.2012आर्य समाज मंदिर एटा उप्र  के सभागार में डाक्टर गोपाल कृषण  शर्मा प्रोफसर जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में कविवर चंद्रप्रकाश द्विवेदी के सद प्रयासों से भोपाल के साहित्यकार
डाक्टर जयजयराम आनंद्के सम्मान में काव्यसंध्या का आयोजन हुआ जिसमें नगर के महेशमंजुल,राजेश्चन्दर जैन .डाक्टर वनबीर प्रसाद शर्मा .दिनेश बंधू ,राम  औतार आर्य ,राज अशोक सिंह , द्विवेदीके व् डाक्टर आनंद  आदि के काव्यपाठ ने काव्यसंध्या को अच्युतम केशव के संचालन में सफल बनाया



दिनांक 07.12.2012 को स्वर्गीय नरेश सक्सेना के श्रन्धांजलि समारोह के अवसर पर साहित्यकारों को सम्मानित किया गया तथा दीपकजी की दो गीत संग्रहों के लोकार्पण में डाक्टर आनंद ने भागीदारी की जिसके कुछ चित्र यहाँ दिए गए हैं .डॉ .आनंद ने श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद समीक्षात्मक दोहे पढ़ते हुए :



        छू कर छंदों की छुअन, हुआ  अनूठा भोर/पिटा ढिंढोरा जगत में ,हुआ अनूठा भोर ------

Saturday, November 3, 2012

अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मलेन की साहित्यिक गोष्ठी

                             अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मलेन की साहित्यिक गोष्ठी
विगत सांध्यवेला में डाक्टर हुकुम् पाल सिंह विकल की अध्यक्षता श्री सतीश चतुर्वेदी के विशिष्ट आतिथ्य में चित्रांश महाविद्यालय के सभागार में आयोजित गोष्ठी में डाक्टर आनंद ने पधारे कवियों के स्वागत में पंक्तियाँ पढी :
भाव सुमन को गूंथ गूँथ कर ,सुरभित हार बनाए /आशायों के दीप जलाकर  स्वागत थाल सजाये
स्वीकार करो स्वागत उपहार /स्वागत सौ सौ बार !
डाक्टर राम वल्लव आचार्य ने अपने समसामयिक गीतों से गोष्ठी का शुभारम्भ किया .जाने माने गज़लकार डाक्टर किशन तिवारी ने अपनी ग़ज़लों की प्रस्तुती से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया .
डाक्टर मोहन तिवारी आनंद का करतल ध्वनि से स्वागत हुआ  उनके गीतों में व्यग्य स्वर छाया रहा उन्होंने पूंछा :
कैसा ज़माना आया लोग झुलसते पानी में  / जीवन का असितित्व क्या कहें ,बूढ़े दीखते जवानी में
वरिष्ठ साहित्यकार उमेश नेमा ने अपनी बुलंद आवाज़ में कवितायों से समाँ बाढ़ दिया .डाक्टर आनंद ने गीत गाया :
आओ घर घर दीप जलाएं /जहां अधेरा बहाँ जलाए ...
उनके दिवाली के दीप दोहों ने गोष्ठी को ऊचाइयां दीं ..श्री चतुवेदी ने विद्वतापूर्ण संक्षिप्त बार्तालाप के बाद्  मनमोहक रचनायों  से गोष्ठी को सफल बनाया
अध्यक्षीय वक्तव्य के बाद अपने गीतों से विकल जी ने सभागार को करतल ध्वनी से गुजा दिया .
अंत में महेश सक्सेना  ने सभी क्सह्भागियों तथा महाविधियालय के अधिष्ठाता माननीय श्री अश्वनी श्रीवास्तव और स्टाफ को धन्यवाद ज्ञापित किया .स्वल्पाहार के बाद गोष्ठी समाप्त हो गयी .
अशोक दुवे अशोक
सचिव अ .भा भा . सा स जिला शाखा भोपाल म .प्र .
 

Friday, July 20, 2012

 साहित्य मंजरी का मार्च जून 2012का अंक जैसे ही हाथ लगा ,उससे आद्योपांत गुजरने  का लोभ संवरण न कर  सका।उसकी साज- सज्जा और अंतर्बस्तु ने मन मोह लिया .विशेष रूप से दोहों के सम्बन्ध में प्रथम गवेषानात्मक तथ्यों ने अनेक भ्रमों कको दूर किया।साथ ही उनके सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी तथा उनकी  हर प्रष्ठ  पर छाप पाठक को हर दोहा कंठस्थ करने को कहता है .नए पुराने साहित्यकारों की उपस्थित उत्साह वर्धक है .नवांकुरित पौधा बट वृक्ष का रूपले .हार्दिक शुभकामनाएं !
'हास्य् योग  आनंद' के  कुछ दोहे  शायद आपका ध्यान खींच सकें :
मधुर अधर मुस्कान जब ,मन को कर ले कैद /दबा काम करती नहीं ,माथा ठोके वैद

अधरों की मुस्कान में ,गीता वेड पुराण /पढने वाले कुछ कहें होगें चतुर सुजान

राई सी मुस्कान से ,पर्वत जैसी पीर / पानी पानी बन झरे जैसे निर्झर नीर

पानी पानी ना रहा ,सर सरिता नल कूप /अधरों की मुस्कान को चाट रही है धू प
डाक्टर जयजयराम आनंद
ई 7/70 प्रेम निकेतन ,आनंद प्रकाशन ,अरेरा कोलोनी ,भोपाल मप्र 462016
2467604/098/08517912504

सम्मानित हुए भोपाल के वरिष्ट साहित्यकार डाक्टर जयजयराम आनंद



अग्रवाल उच्च विद्यालय गया बिहार के सभागार में डाक्टर रामप्रसाद सिंह साहित्य पुरस्कार साहित्य सीरीज समारोह लालमणि कुमारी की अध्यक्षता में,डाक्टर सुरेन्द्र प्रसाद यादव विधायक  मुख्य अतिथि एवम डाक्टर क्रिशंनंदन यादव विधायक विशिष्ट अतिथि की गरिमा पूर्ण उपस्थित  में  दिनांक 10.03.2012 को संपन्न हुआ .

डाक्टर रामप्रसाद के उद्घाटन भाषण के बाद प्रथम सत्र में पधारे विशिष्ट साहित्यकारों को पुरस्कृत व् सम्मानित किया किया गया .सर्वप्रथम भोपाल मध्यप्रदेश से पधारे वरिष्ट कवि समीक्षक डाक्टर जयजयराम आनंद को सरवोत्क्रष्ट ,'संत रामसनेही -वेणी स्मृति पुरस्कार से सम्मानित कियागया .अन्य सम्मानित व् पुरस्कृत साहित्यकार थे :डाक्टर सरयूप्रसाद बिहार शरीफ प्रोफेसर रामप्रसाद साहित्य सम्मान प्रोफसर सुखित प्रसाद वर्मा सम्पति अर्याणी पंडित हरिहर ज्वाल मगही लोक साहित्य पुरस्कार ,श्री महेंद्र मिश्र नालंदा ,डाक्टर कुमार इन्द्रदेव  लोरिक पुरस्कार .श्रीमती सुनीता कुमारी सांत्वना पुरस्र्कार आदि .सभीको निश्चित धनराशी ,अंग वस्त्र .प्रशस्ति पत्र अदि प्रदान किये गए .दूसरे सत्र की अध्यक्षता डाक्टर जयजयराम आनंद ने  की जिसमें मगही को संविधान की आठवीं सूची में जोधने के लिए वक्ताओयों ने महत्यपूर्ण सुझाव दिए इसी सत्र  में डाक्टर आनंद  ने लोक साहित्य के महत्व पर प्राकश डाला .तीसरे सत्र में कविसम्मेलन में दूर दूर से आये कवियों ने सरस कवितायों से श्रोतायों को सरावोर किया स्थानीय कवियों ने भी अपना अमूल्य योग्दान् दिया .कार्यक्रम का सचालन   प्रोफ़ेसर उपेन्द्रनाथ वर्मा ने किया .सभी सहभागियों के समुचित ठहराने खानपान की व्यवस्थआ की गयी  थी.अंत में सफलता  के लिए सभी को धन्यबाद दिया गया 
प्रो.उपेन्द्रनाथ वर्मा
मगध विश्वविध्यालय ,बोधगया ,बिहार
                                                                                                                 

Saturday, May 12, 2012

अखिल भारतीय भाषा साहित्यसम्मलेन के तत्वावधान मेंदिनांक 12.5.12कअश्वनी श्रीवास्तव चित्रांश महाविद्यालय के सौजन्य से डॉ राममोहन तिवारी आनंद की अध्यक्षता ,डॉ रामवल्लभ
आचार्य के मुख्य आतिथ्य मेंमाँ पर केन्द्रित साहित्य गोष्ठी का शुभारम्भ करने से पहले डॉ जयजयराम आनंद ने 
साहित्यकारों का स्वागत करते हुए स्वागत  गीत पढ़ा :स्वागत सौ सौ बार सभी  का ,स्वागत सौ सौ बार और विषय 
का शु भारम्भ  करते हुए दोहे पढ़े :
माँ की ममता के लिए ,मिले किसे उपमान /खोज खोज कर थक गये ,तुलसी  सूर महान
माँ की महिमा जगत में .अद्भुत अपरम्पार /माँ के बिना न चल सके जीवन  क्रम संसार
              इसके बाद विश्वनाथ शर्मा विमल ने ,'दू ध  पिया जिस मैया का 'बिहारी लाळ सोनी अनुज ने माँ महांन  होती है ,वर्मा रामभरोसे ने अपने हाय्कुओं में माँ ,रामवल्लभ आचार्य ने मधुर गीतों में ,डॉ राममोहन तिवारी आनंद ने अपने पुराने गीतों में माँ का गुणगान किया
डॉ सुशील गुरु ने अपना माँ पर गीत पढकर वाह वाह बटोरी .डॉ आनंद ने माँ पर नवगीत ,बिन बीमारी घर बीमार ,पढ़ा
जिसका करतल ध्वनी से स्वागत हुआ .गोष्ठई का सफल संचालन अनुज ने किया .डॉ आचार्य ने सबका आभार व्यक्त
किया .
  डॉ जयजयराम आनंद के माँ पर केन्द्रित नवगीतों से गुजरें व् अपनी प्रतिक्रियायों से अवगत कराएं :

Tuesday 19 October 2010

भला हुआ जो अम्मा तुमने ...

भला हुआ जो अम्मा तुमने
राह स्वर्ग की पकड़ी
लम्बी बीमारी ने तुमको
बना दिया था ठठरी
सब दुनिया भौचक्की होती
देख दबाएँ गठरी
तन्त्र मन्त्र -लुकमान डाक्टर
सबने छोडी आशा
तन की गाड़ी मन के पहिये
छोड़ चुके थे पटरी
दूभर था खाट छोड़ना भी ,थाम थाम कर लकड़ी
आठ आँसू रोते थे
कुत्ता बिल्ली डेली
घर आँगन बुनता सन्नाटा
तुमको देख अकेली
दशों दिशाएँ अवनी अम्बर
छोड़े हाल पूंछना
तरस गईं थीं बतियानें को
खटिया लेटे लेटे
निखुराते थे बहुएं बेटे ,छुटकी हरदिन झगड़ी
सिखलाया था जिनको तुमने
स्वर्णिम सपने बुनना
छोटा पड़ता था घर आँगन
कमरा अपना अपना
आह कराह खांसना असमय सबको
सबको अखरा करता
निश्चित था डौगी पूसी को
खाना पानी फिरना
जब पहुँचीं आश्रम तुम अम्मा ,मनी दिवाली तगड़ी
[भोपाल:१०.१०.२०१०]

Wednesday 2 July 2008

कामधेनु

मलयानिल कानों में कहती
मेरी अम्मा सोनचिरैया
खात पकड़ते ही अम्मा के
सारा घर गम पीता
जैसे सूरज के ढलते ही
सारा जग तं जीता
अम्मा चलती घर चलता था
घर कश्ती की कुशल खिवैया
बात बतंगड़ जब बनती हो
कैसे दफना देना
सैनन नैनन सब समझाना
क्या है लेना- देना
जो मांगो सो वो देती थी
कामधेनु की वंशज मैया
सम्बन्धों की कुशल चितेरी
पग-पग उन्हें निभाया
जद जमीन तनमन से सिंची
माथे से सदा लगाया
परम्परा की सिरजन हारी
ढल जाती थी झटपट मैया
[०७.०८.०७]

Friday, January 27, 2012

डाक्टर आर .डी.वर्मा प्रोफेसर एमिरितास [फिजिक्स ]
न्यू ब्रुन्सविक यूनिवर्सिटी ,कनाडा
५०६-४५७-०२५७




जब मुझे ज्ञात हुआ कि हिंदी साहित्य की प्रमुख पत्रिका साहित्य सरोवर /------------------का फरबरी २०१२ का
विशेषांक डाक्टर जय जय राम के साहित्यिकजीवन   को समर्पित है तो मुझे बेहद ख़ुशी हुई .मुझे इस बात का गर्व है कि समाज में कोई ऐसा भी मित्र है जिसे मैं एक लम्बे अरसे से जानता हूँ और जिसकी मित्रता उसके विद्धार्थी  जीवन से मेरे मानस पटल पर रची -बसी है .मेरे लिए यह महान ख़ुशी की बात है कि उनके विषय में मुझे अपना द्रष्टिकोण रखने का सुअवसर मिला ।
डाक्टर जय जय राम मुझसे कुछ साल छोटे हैं परन्तु हम दोनों की जीवन रेखा बिलकुल समानांतर बही यद्यपि उसकी दिशाएँ अलग अलग रहीं । हम दोनों ही ऐसे सामान्य किसान परिवार से हैं जिनमें कोई भी भविष्य की राह  दिखाने  बाला नहीं था .अपने भाग्य निर्माण की राहें अपने आप खोजीं क्योंकि हम मैथिलीसरन  गुप्त जी की पक्तियों से अनुप्राणित थे :स्वावलम्ब की एक झलक पर न्योछवर कुबेर का कोष ' उन्होंने अपनी मात्रभूमि , मात्रभाषा हिंदी,बालसाहित्य तथा शिक्षा जगत की सेवा की और उन क्षेत्रों में सराहनीय कार्य किये जबकि मैंने प्रकृति के रहस्यों की खोज में दुनिया की खाक छानी .मुझे दो- दो नोबुल पुरूस्कार विजेतायों के साथ हाथ मिलाकर परमाणुओं और मोलेक्युल्स के अभेध्य रहस्यों को खोजने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
मुझे अच्छी तरह याद है जब डाक्टर जय जय राम मुझसे सन १९५७-५८ में अलीगढ में मिलने आये तो मुझे अपनी प्रथम पाण्डुलिपि, 'दरिद्रता के अंचल से महान विभूतियाँ ' दिखाई तो सुचमुच मैं आश्चर्य चकित हुआ की इतनी सी छोटी आयु में इतना महत्वपूर्ण लेखन .उन्होंने अपने कनाडा अपने बेटे के पास सैंट जॉन प्रवास में बताया की उसे राजपाल एंड संस दिल्ली ने 'प्रेरणात्मक जीवनियाँ ' शीर्षक से प्रकाशित की है उन्होंने अपने सेवाकालीन अवधि में शिक्षा एवं शिक्षा मनोविज्ञान सम्बन्धी अनेक कृतियों का सर्जन किया जिनमें ,'विश्व के महान शिक्षाशास्त्री 'का पांचवां संस्करण निकल चुका है .ध्यातव्य है की उन्होंने काव्य जगत को नौ संकलन की अनूठी धरोहर सौपी है जिनमें से अधिकाँश को मुझे देखने का अवसर उनके साथ भोपाल ठहरने पर मिला उनके हाल ही के प्रकाशित बाल साहित्य के संकलनो और उनके बाल गीतों को सुनकर मैं और मेरी धर्म पतिनी मधु वर्मा मोहित हो गए .बालजीवन से सम्बंधित कवितायें अति सरल और बालकों के गले आसानी से उतर जाती है । मैं अत्यधिक प्रसन्न हूँ और मुझे गर्व है की उन्हें उनके प्रशंशनीय कार्यों के लिए अनेक राष्ट्रीय पुरूस्कार एवं सम्मान मिलें और अनेक साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थायों ने भरपूर सम्मान दिया ।
मैं उनके परिचय और सानिध्य को गौरव और अपने सौभग्य का प्रतीक मानता हूँ .मेरा उनके जोखिम भरे साहसिक जीवन की पगडंडियों से उनके विद्यार्थी जीवन से ही निरंतर संपर्क में रहा हूँ .उनकी जीवन यात्रा एक किसान के खेत से शुरू होकर भारत के अनेक भागों की भूलभुलैयों से गुज़री और उनपर सफलता और अपने नाम के अनुकूल अमित आनंद की अजश्र धारा बहाई वे अपने गाँव -समाज के लिए सर्वप्रथम नायक हैं जिन्होंने यह सिद्ध करके यह दिखा दिया की पैसे का अभाव और दूसरे के कधों के टेके की वैशाखी के न होने पर भी जीवन में सफलता की सीढ़ी पर चढ़ने से कोई रोक नहीं सकता यदि मन में संजोये सपनों को सजाने की प्रवल इक्षा और सच्ची लगन हो ।
मैं उनकी दीर्घ आयु और सुखी जीवन की कामना करता हूँ ताकि वे साहित्य जगत विशेषकर बाल साहित्य को अपने बालगीतों की अमूल्य सौगात सौंप सकें भावी बाल गोपालों के कोमल उरों में हास्य का वीज बो सकें ।
हस्ताक्षर :राम .डी .वर्मा
प्रोफेसर राम डी वर्मा , एम् .ससी [फिजिक्स], पी ,एचडी ।
हिंद रत्न १९९३
१९५, कोलोनिअल हाईट्स ,
फ्रिदिक्सन ,एन .बी .ई ३बी५ एम् २ कनाडा


उमेश रश्मि रोहतगी
बी.एससी ,बी .टेक.[आनर्स ] ऍम .एस।
सामाजिक कार्यकर्ता,
२४१६१,नीलम ड्राइव,नोवी ,म .आई.४८३७५ [ यु स ए]
इ मेल : फोन २४८-४७१-५७८६
[क्रप्या अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें ]

मेरा परम सौभाग्य है कि पिछले दस वर्षों से भी अधिक से मैं
डाक्टर जय जय राम आनंद को जानता हूँ .ये भी मेरे लिए गौरव का विषय है कि उनके द्वारा रचित शिक्षा एवं साहित्य के अनेक ग्रंथों में से काव्य के नौ संकलनों में से अधिकाँश को पढ्ने का सुअवसर मिला जो जन सामान्य
सहज सरल हिंदी भाषा में हैं और उन्हें हर पाठक अपने जीवन से जुड़ा पायेगा .वे पढ़े लिखे मनीषी हैं जिसकी अमिट छाप उनके मध्य प्रदेश ,गोवा दमन दीव[ केंद्र शासित राज्य ] और गोवा राज्य के विद्यार्थियों ,शैक्षणिक एवं प्रशासनिक क्रियाकलापों पर है .उनका गहन अध्ययन ,भ्रमन्शीलता उनके व्यक्तित्व के अभिन्न अंग हैं । वे बड़े ही स्नेह शील हैं .मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि उनसे थोड़े समय कि भेंट से ही हर कोई प्राभित हो जाता है .मेरे लिए यह और खुद्किस्मती कि बात है कि वे भी मेरी तरह उत्तरप्रदेश के निवासी हैं .अत:,उन्हें भलीभांति समझने में मुझे कोई परेशानी नहीं हुई .वे अनेक पुरुस्कारों से पुरुस्कृत है और मैं यह कह सकता हूँ कि वे पुरूस्कार उनके कारण गौरवान्वित हुए हैं क्योकि वे स्वयं उनके सुपात्र ही नहीं अपितु उन जैसे और अधिक पुरुस्कारों के हकदार हैं .मैं उनसे अधिक और किसी को अच्छा नहीं पाता कि जिसके लिए मैं कुछ लिखूं .वे बड़े विनोदप्रिय हैं और उनसे किसी भी विषय में बात करना आनद दायक है.
वे पारिवारिक जीवन के हिमायती हैं .उनकी पाँचों संतानें सुयोग्य एवं सम्मानजनक पदों पर पदासीन हैं । दो अमेरिका बेटी ह्यूस्टन ,सबसे छोटा बेटा लासंजेलीस में ],मझला बेटा सैंट जॉन कनाडा में तथा सबसे बड़ा बेटा व् उससे छोटी बेटी भारत में हैं .तीन बेटों में सबसे छोटा बेटा अभी भी अविवाहित है .मेरी हार्दिक कामना है यदि मेरी बेटी होती तो मै उस परिवार में दे देता ।उन्हें मित्र बनानें में देर नहीं लगती जिसका प्रमाण यह है की विश्व के इस भाग ,विशेषत:,मिसिगन जहां वे कुछ महीनों ही रहे और उसमें ही उनके अनेक मित्र और प्रशंसक बन गए।
वे हिदी की पत्र -पत्रिकायों में अमेरिका की हिंदी जगत ,विश्वा और भारत की अनेक प्रतिष्ठित पत्र -पत्रिकायों में रचनाएं भेजते रहते हैं और बराबर प्रकाशित होती हैं .इसके अतिरिक्त वे अनेक समूहों यथा एक कविता @ याहूग्रौप्स.कॉम ,अनुभूति -हिंदी-ओर्ग ,स्वर्ग्विभा आदि से भी जुड़ें हैं उनका स्वयम काकवितमेअनन्द्ब्लोग्स्पोत. कॉम भी है
मैं उन्हें किसी भी अलन्क्र्ण के लिए अनुशंसित करने में कभी भी हिचकूंगा नहीं ।
उमेश रश्मि रोहतगी
दिनांक :सोमवार सितम्बर :१२.२०११